मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

KISKEE JEET

लोकसंघर्ष !



Posted: 06 Apr 2016 07:09 AM PDT
पश्चिम बंगाल विधान सभा के चुनाव का पहला चरण पूरा हो चूका है. जंगल महल क्षेत्र की 18 विधान सभा सीटों पर मतदान हो चूका है. मतदान लगभग 82 प्रतिशत हुआ है. मतदान के प्रतिशत बढ़ने पर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. ममता विरोधियों का मानना है कि मतदान प्रतिशत बढ़ने से ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को नुकसान होगा. बंगाल के बुद्धिजीवी तबके का मानना है कि वाम मोर्चे के 35 साल के लगातार शासन के बाद जो गुंडागर्दी बढ़ी थी, ममता बनर्जी की पार्टी ने सभी रेकॉर्डों को ध्वस्त करते हुए पांच सालों के अन्दर गुंडागर्दी का नया रिकॉर्ड बना दिया है. विवेकानंद फ्लाईओवर के गिरने के बाद भ्रष्टाचार के संस्थागत होने का परिणाम सामने आया है. यह भी जानकारी में आ रहा है कि हर क्षेत्र की सप्लाई के ऊपर तृणमूल कांग्रेस का कब्ज़ा है. चुनाव में वाम मोर्चा व कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीँ तृणमूल कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी एक सोची समझी रणनीति के तहत अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा जनता को दिखाने के लिए सीधे-सीधे तृणमूल कांग्रेस के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप तो करती है लेकिन भाजपा की स्तिथि बंगाल में वोट कटवा पार्टी के रूप में विकसित हो रही है. बंगाल के एक बुद्धिजीवी ने बातचीत में बताया कि भाजपा को वोट देने का मतलब है तृणमूल कांग्रेस की मदद करना.
                                  बंगाल ने विकास हुवा हो या नही लेकिन गुंडागर्दी का उद्दोग जरुर बढ़ा है  माकपा के राज्य सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्र ने कहा था  कि पूरे राज्य में अराजकता की स्थिति बनी हुई है. राज्य में गुटों के बीच झड़प और विस्फोट की घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे बम निर्माण ही राज्य का लघु और कुटीर उद्योग बन गया है. बंगाल से राज्यसभा सदस्य रहे अहमद सईद 'मलिहाबादी' ने सीधे तौर पर कहा कि ममता के सरकार में आने का मतलब है की बंगाल के अन्दर मोदी की सरकार को कायम करना है और बंगाल चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस केंद्र में सत्तारूढ़ दल की मदद में रहेगी.तृणमूल कांग्रेस व भाजपा बंगाल में नूराकुश्ती लड़ रही है.
बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कुशासन के कारण बहुत बुद्धिजीवियों का एक बहुत बड़ा हिस्सा सरकार के विरोध में है और उसकी कोशिश है कि तृणमूल कांग्रेस को आगे सरकार बनाने का मौका न मिले वहीँ, जनता के विभिन्न तबकों से बातचीत के बाद यह बात उभर कर आ रही है कि तृणमूल कांग्रेस का शासन में आना आसान नहीं है और जिस तरह से स्तिथियाँ बदल रहीं हैंउससे लगता है कि छठे चरण तक  का मतदान आते-आते तृणमूल कांग्रेस का मत प्रतिशत कम होते-होते उसको सत्ता से बेदखल कर सकता है.
-सुमन
लो क सं घ र्ष !
 

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