आज के दौर के लेख
रविवार, 20 सितंबर 2015
उठो , जागो , शिक्षित हो परम्परा छोडो ,
मुक्त हो
साईं
इतना
दीजिये
,
जा
मे
कुटुम
समाय
।
मैं
भी
भूखा
न
रहूँ
,
साधु
ना
भूखा
जाय
॥
संत कबीर
सिस्टम में बहुत ताकत होती है जिसे
जनता मिलकर जोर लगा कर ही बदल
सकती है एक क्रांतिकारी मोर्चा बनाकर
तिनका
कबहुँ
ना
निंदये
,
जो
पाँव
तले
होय
।
कबहुँ
उड़
आँखो
पड़े
,
पीर
घानेरी
होय
॥
संत कबीर
मैं क्या कर सकता हूँ सिवाय सहने के
और क्या रास्ता सिवाय चुप रहने के
ज्यादा से ज्यादा दो बातें बस कहने के
ज्यादा कहा तो शहंशाह नहीं सहने के
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)