बुधवार, 29 जून 2016

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िसानो-खं ेत मज़दू रो की ब ं ढ़ती आत्महत्याएँ और कर्ज़ की समस्या ft+Eesnkj dkSu gS\ jkLrk D;k gS\ बीती 26 अप्रैल को पं जाब के बरनाला ज़िले के जोधपर ु गाँव में सदखोरों का क ू र्ज़ा चका पाने में असमर ु ्थ किसान और उसकी माँ द्वारा ज़हरीली दवाई पीकर खदक़ु ुशी करने की भयानक घटना ने एक बार फिर से राज्य के सं वेदनशील लोगों को हिला कर रख दिया। किसान बलजीत के पास 2 एकड़ ज़मीन थी और उसके बाप पर तेजा सिं ह नाम के सदखू ़ोर का कर्ज़ा था जो उनके मरने के बाद बलजीत के सिर आ गया। कई तरह की हेरा-फे रियों, ज़्यादा ब्याज लगाने और सरकारी महकमों में जोड़- तोड़ करके तेजा सिं ह ने बलजीत की ज़मीन अपने नाम करा ली। जब तेजा सरकारी अधिकारियों और पलिु स के साथ ज़मीन पर कब्ज़ा करने आया तो गाँव के लोगों की मौजदगी में बलजीत ू सिं ह ने घर की छत पर चढ़कर ज़हरीली दवाई पी ली, उसको देखकर उसकी मां बलबीर कौर ने भी बाकी की दवाई पी ली और अस्पताल ले जाते समय दोनों की मौत हो गयी। यह त्रासदी कृषि प्रधान राज्य पं जाब में खेती के सं कट में जी रहे ग़रीब किसानों और मज़दरों की द ू र्दनाक हालत को दिखाने वाली एक प्रतिनिधि घटना ह।ै राज्य के अख़बारों में लगभग रोज़ खदक़ु ुशी की कोई नयी ख़बर छपती ह। ैऐसी ख़बरों के कुछ अश हम यहाँ ं दे रहे हैं। पं जाबी ट्रिब्यून ्यू 27 अप्रैल के सं पादकीय के अनसार, ''प ु ं जाब में इस समय औसतन हर दो दिनों में तीन किसान कर्ज़े के बोझ के कारण खदक़ु ुशी करते हैं। के न्द्रीय कृषि राज्यमत्ं री की ओर से सं सद में पेश किये गये आँकड़ों के अनसार प ु ं जाब में इस साल 11 मार्च तक 56 किसानों ने खदक़ु ुशी की है जबकि अख़बारी रिपोर्टों के अनसार ु सिर्फअप्रैल महीने में 26 तारीख तक 40 किसान आत्महत्या कर चकुे हैं। किसान खदक़ु ुशियों के मामले में महाराष्ट्र के बाद पं जाब देश में दसरे नम ू ्बर पर आ गया ह। ैराज्य के तीन विशव् विद्यालयों की ओर से किये गये सर्वेक्षण के अनसार 2000 से 2011 के दौरान राज ु ्य में कृषि से सम्बन्धित 6926 व्यक्तियों ने खदक़ु ुशी की जिनमें से 3954 किसान और 2972 खेत मज़दर ू थे। पं जाब सरकार ने 2011 के बाद किसानों और खेत मज़दरों ू की खदक़ु ुशियों के बारे में ना तो कोई नया सर्वेक्षण करवाया है और ना ही इनका रिकार्डरखने के लिए कोई तं त्र क़ायम किया हैजबकि इस समय के दौरान कृषि सं कट और गहरा होने के कारण खदक़ु ुशियों की गिनती में बहु त ज़्यादा वद् ृधि हुई ह।’’ ै यहाँ देखा जाये तो सबसे ज़्यादा खदक़ु ुशियाँ सं गरूर (1,132), फिर मानसा (1,013) और बठिं डा (827) में हुई हैं। यह तस्वीर सिर्फ पं जाब की ही नहीं बल्कि पर ूे भारत की ह। ै देश में सबसे ज़्यादा, 45 प्रतिशत किसानों की आत्महत्याएँ महाराष्ट्र में होती हैं। सरकारी आँकड़ों के अनसार जनवरी से ु जन 2015 के दौरान 1300 ू किसानों ने खदक़ु ुशी की, मतलब रोज़ाना 7 किसानों ने खदक़ु ुशी की। पं जाब कृषि यनि‍ ू वर्सि‍टी, लधिु याना के डा. सखपाल अपने लेख ु में लिखते हैं, “राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ्यू के अनसार 2012 में देश में हर ु रोज़ 46 किसान खदक़ु ुशी करते थे। भारत में बड़े स्तर पर खदक़ु ुशियों का सिलसिला नयी आर्थिक नीति‍याँ लागू होने के बाद 1990 के आखिर में देखने को मिलता ह। ै1997 से 2006 के दौरान 10,95,219 व्यक्तियों ने खदक़ु ुशी की, जिनमें से 1,66,304 किसान थे। किसानों का यह आँकड़ा अब बढ़कर तीन ला

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