जब दिल्ली में राजनाथ गोयनका पुरुष्कार समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि हरेक पीढी को इमर्जेन्सी पर विचार करना चाहिए ताकि भविष्य में किसी राजनीतिक नेता की इमर्जेन्सी का पाप करने की सोचने तक की हिम्मत न हो ।
इस टिप्पणी की ढिठाई उसी रोज उजागर हो गयी जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल , कांग्रेस नेता राहुल गाँधी तथा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री , मनीष सिसोदिया को दिल्ली पुलिस ने उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वे राममनोहर लोहिया अस्पताल में रिटायर्ड सूबेदार रामकिशन के परिवार वालों से मिलने पहुँचे । राजनीतिक नेताओं की सामान्य गतिविधियां भी इस सरकार की नजरों में अवज्ञा और कानून व व्यवस्था के लिए खतरा बन गयी हैं ।
कथित रूप से सिमी के सदस्य बताये जाने वाले , आठ विचाराधीन कैदी भोपाल की सेंट्रल जेल से फरार हो गए थे । जेल से पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर उन्हें सोचे समझे तरीके से गोलियों से भून दिया । गया साफ़ है कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए किसी का आतंकवादी बता दिया जाना ही , इसके लिए काफी है कि गैर - न्यायिक तरीके से उसकी जान ले ली जाये ।
छात्र की गायब होने की घटना के पूरे तीन हफ्ते बाद तक पुलिस एबीवीपी के उन छात्रों से पूछताछ करने से ही इनकार कर रही थी , जिन्होंने नजीब के साथ बाकायदा मारपीट की थी ।
छत्तीसगढ़ की पुलिस ने क्रमशः दिल्ली तथा जे एन यू विश्वविद्यालयों की दो प्रोफेसरों के खिलाफ और कुछ और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ , हत्या के षड्यन्त्र लगाते हुए ऑफ आई आर दर्ज की है । यह खांटी तानाशाही नहीं तो और क्या है ?
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