गुरुवार, 17 नवंबर 2016

प्रधानमंत्री

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी देश के प्रधान सेवक नहीं हैं. यह जिन लोगों के सेवक हैं उनको लाखों-लाख करोड़ रुपये का फायदा पहुंचा रहे हैं. दूसरी तरफ 10 नवम्बर से पूरे देश की आम जनता के 80 प्रतिशत लोगों को विभिन्न बैंकों के  सामने रोटी खाने के लिए रुपया निकालने के लिए लाइन में खड़ा कर रखा है. विमुद्रीकरण के बहाने उद्योग जगत के मालिकों को फायदा पहुँचाया जा रहा है. वहीँ, छोटे व्यापारियों को भी रोजी रोटी से महरूम किया जा रहा है. मालिकों का जिस तरह से भी फायदा होना है. प्रधान सेवक को उसी हिसाब से कार्य करना है. भारतीय जनता के प्रति उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है. इसके बाद साम्राज्यवाद को फायदा देने के लिए उनके हथियारों को खरीदने के लिए काल्पनिक युद्ध की तैयारियां चल रही हैं जो किसी समय प्रारंभ हो सकती हैं. युद्ध का छद्म वातावरण नरसंहारी योजना का एक हिस्सा है. क्रूर शासक हमेशा जनता का नरसंहार कराता रहता है. हमारा देश भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है. लोकतंत्र खतरे में है.न्यायपालिका को पंगु बनाने के लिए न्यायाधीशों की नियुक्तियां बंद कर दी गयी हैं.
सुमन 

 

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